लिलियमखूबसूरत फूलों में से एक है। अपनी खूबसूरती और महंगी कीमत के कारण यह धनाढ्य वर्ग के ड्राइंग रूम, बेडरूम और पांच सितारा होटलों में सजा दिखाई देता है। महज 70 दिन की बागवानी वाला यह फूल बागवान और किसान के लिए भी बड़े फायदे का साबित हो सकता है। एक एकड़ में 90 हजार से एक लाख फूल तैयार होते हैं। बल्ब का कंद (बीज) 14.5 रुपए से लेकर 22 रुपए तक आता है। परिश्रम और नियमित देखरेख के बाद बागवान को प्रति एकड़ खेत पर शुद्ध आय 12 से 15 लाख रुपए तक आसानी से हो सकती है। फतेहाबाद के प्रगतिशील किसान सुमित गडवाल ने 7 एकड़ में लिलियम उगाया है। बागवानी विभाग नेट पॉली हाउस लगाने पर 65 प्रतिशत जबकि लिलियम बागवानी पर 50 प्रतिशत सबसिडी दे रहा है।
मैंने बागवानी विभाग के अधिकारियों से प्रेरित हो इसी साल लिलियम बागवानी की है। इसके लिए पहले प्रशिक्षण लिया। पौध की देखरेख के लिए एक बागवानी विशेषज्ञ है, जो दिल्ली से हर तीसरे-चौथे दिन अवलोकन करते हैं। लिलियम में फंगस के अलावा कोई दूसरी बीमारी नहीं लगती। फंगस से बचने के लिए 15 से 25 दिन के अंतराल पर एक बार एंटी फंगस स्प्रे करना होता है। ये मुनाफे की बागवानी है। इसका बेड तमाम तरह के पोषक पदार्थ डालकर तैयार किया जाता है। -सुमित गडवाल, प्रगतिशील किसान, फतेहाबाद।
बाजार में बीज विक्रेताओं के पास लिलियम का बल्ब मिलता है। बागवान आमतौर पर बिजाई अक्टूबर महीने में करता है। ऐसे में यह जनवरी की शुरुआत तक तैयार हो जाता है। बाजार में लिलियम का एक पीस 28 रुपए से 30 रुपए तक में आसानी से बिकता है लेकिन इसकी मांग जनवरी से मार्च महीने में ही बहुत ज्यादा होती है।
लिलियम की बिजाई के तुरंत बाद 21 दिनों तक टपका सिंचाई के तहत पानी दिया जाता है। सर्दियों के दिनों में एक दिन का अंतर भी रख सकते हैं। 7 से 8 दिन के अंदर बल्ब से पौध बाहर निकल आती है। लगातार देखरेख और उचित पानी देते रहने के बाद 60 से 70 दिन में लिलियम खिलता हुआ नजर आता है।
लिलियम की बागवानी के लिए उत्तम खेत तैयार करना होता है। प्रति एकड़ खेत में 40 किलोग्राम केल्सियम नाइट्रेट, 40 क्विंटल वर्मी कंपोस्ट, 50 किलोग्राम चावल का छिलका, 50 किलोग्राम डीएपी खाद, 10 किलोग्राम सल्फर, 10 किलोग्राम जिंक, 50 किलोग्राम सुपर सल्फेट के अलावा अन्य सूक्ष्म पोषक तत्व डालकर बेड (समतल खेत) तैयार किया जाता है। इस बेड पर 4 से 5 से.मी. की गहराई पर लिलियम बल्ब लगाया जाता है।
मैंने बागवानी विभाग के अधिकारियों से प्रेरित हो इसी साल लिलियम बागवानी की है। इसके लिए पहले प्रशिक्षण लिया। पौध की देखरेख के लिए एक बागवानी विशेषज्ञ है, जो दिल्ली से हर तीसरे-चौथे दिन अवलोकन करते हैं। लिलियम में फंगस के अलावा कोई दूसरी बीमारी नहीं लगती। फंगस से बचने के लिए 15 से 25 दिन के अंतराल पर एक बार एंटी फंगस स्प्रे करना होता है। ये मुनाफे की बागवानी है। इसका बेड तमाम तरह के पोषक पदार्थ डालकर तैयार किया जाता है। -सुमित गडवाल, प्रगतिशील किसान, फतेहाबाद।
बाजार में बीज विक्रेताओं के पास लिलियम का बल्ब मिलता है। बागवान आमतौर पर बिजाई अक्टूबर महीने में करता है। ऐसे में यह जनवरी की शुरुआत तक तैयार हो जाता है। बाजार में लिलियम का एक पीस 28 रुपए से 30 रुपए तक में आसानी से बिकता है लेकिन इसकी मांग जनवरी से मार्च महीने में ही बहुत ज्यादा होती है।
लिलियम की बिजाई के तुरंत बाद 21 दिनों तक टपका सिंचाई के तहत पानी दिया जाता है। सर्दियों के दिनों में एक दिन का अंतर भी रख सकते हैं। 7 से 8 दिन के अंदर बल्ब से पौध बाहर निकल आती है। लगातार देखरेख और उचित पानी देते रहने के बाद 60 से 70 दिन में लिलियम खिलता हुआ नजर आता है।
लिलियम की बागवानी के लिए उत्तम खेत तैयार करना होता है। प्रति एकड़ खेत में 40 किलोग्राम केल्सियम नाइट्रेट, 40 क्विंटल वर्मी कंपोस्ट, 50 किलोग्राम चावल का छिलका, 50 किलोग्राम डीएपी खाद, 10 किलोग्राम सल्फर, 10 किलोग्राम जिंक, 50 किलोग्राम सुपर सल्फेट के अलावा अन्य सूक्ष्म पोषक तत्व डालकर बेड (समतल खेत) तैयार किया जाता है। इस बेड पर 4 से 5 से.मी. की गहराई पर लिलियम बल्ब लगाया जाता है।

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