ऐसे वक्त में जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सन् 2022 तक किसानों की आय दुगुनी करने का लक्ष्य निर्धारित किया है, उनके गृह राज्य गुजरात में एक अभिनव पहल के जरिए किसानो ने इस लक्ष्य को पाने की दिशा में एक कदम भी बढ़ा दिया। इस संकल्प से आगे बढ़ते हुए अगले सप्ताह गुजरात के खेड़ा जिले के धुंदी गांव में देश के पहले सौर सहकारी संघ, जिसे छह किसानों ने मिलकर बनाया है, पहली युनिट बिजली का उत्पादन कर बिजली ग्रिड को आपूर्ती करेंगे। किसानो के इस पहल से इनको प्रत्येक महीने चार हजार रुपये की अतिरिक्त आमदनी होगी।
मध्य गुजरात के इस किसान सहकारी संघ की खासियत है कि डेढ़ एकड़ से छोटे जोत वाले इन किसानो ने न केवल अपने खेतों में डीजल पंप सेट्स की जगह सौर ऊर्जा से चलने वाले पंप सेट्स लगा लिए बल्कि इन पंपिंग सेट्स को स्थानीय बिजली ग्रिड से भी जोड़ दिया।
इसका मतलब ये हुआ कि जब ये किसान अपने खेतों की सिंचाई के लिए सौर ऊर्जा का उपयोग नहीं कर रहे होंगे तब वो बस एक स्वीच दबा कर अपने खेतों में उत्पादित बिजली को सीधे ग्रीड को दे देंगे और ऐसा करने से उन्हें अतिरिक्त आमदनी भी हो सकेगी।
इस मॉडल से न केवल किसानों को अतिरिक्त आय होगी बल्कि मुफ्त में उपलब्ध सौर ऊर्जा के जरिए वो भूमिगत जल का अनावश्यक दोहन भी नहीं करेंगे। इन किसानों के इन अभिनव पहल के लिए गुजरात की मुख्यमंत्री आनंदी बेन पटेल ने 9 मई को आनंद में आयोजित एक औपचारिक समारोह में इन्हें सम्मानित भी किया। सौर सहकारी संघ के सचिव 29 वर्षीय प्रवीण परमार बताते हैं, “हमारे सौर सहकारी संघ – धुंदी सौर ऊर्जा उपादक सहकारी मंडली लिमिटेड – को गुजरात की मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल ने सम्मानित किया। आनंद कृषि विश्वविद्यालय में आयोजित कृषि महोत्सव आयोजन में सोमवार को हमें प्रशंसा पत्र और नकद राशि दे कर सम्मानित किया गया। हमें खुशी है कि हमारे इस नए विचार को राज्य सरकार ने मान्यता दी”।
इसी दिन सौर सहकारी संघ ने अपने द्वारा उत्पादित सौर बिजली की आपूर्ति स्थानीय विधुत ग्रिड को करनी शुरू की।
इस परियोजना की अगुवाई कर रहे आनंद जिले के एक अर्थशास्त्री तुषार शाह जो कि जल प्रबंधन विशेषज्ञ भी हैं औऱ कोलंबो स्थित इंटरनेशनल वाटर मैनेजमेंट इन्स्टीच्युट के सिनियल फैलो हैं, कहते हैं, “सोमवार से किसानों ने अपने सौर ऊर्जा से उत्पादित बिजली को स्थानीय ग्रिड को देना शुरू कर दिया है। उनके सिंचाई पंप स्थानीय ग्रिड से जुड़ा है और जब वो सिंचाई नहीं कर रहे होंगे तब वो बिजली ग्रिड को स्थानांतरित हो जाएगी। कुल मिलाकर मेरा मानना है कि हम करीब साठ हजार युनिट बिजली बेच सकेंगे जिससे दो से ढाई लाख रुपये की सालाना आय होगी। इसका मतलब ये होगा कि महीने में छह से सात हजार रुपया कमा रहे इन किसानों को चार हजार रुपये की अतिरिक्त आमदनी होगी”।
बीते सप्ताह इस सौर सहकारी संघ ने मध्य गुजरात विज कंपनी लिमिटेड के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किए जिसके तहत सौर ऊर्जा सहकारी संघ द्वारा उत्पादित बिजली के प्रत्येक युनिट को राज्य डिस्कोम 4.63 रुपया प्रति यूनिट की दर पर खरीदेगी। सौर ऊर्जा से चलने वाले पंप मोटे तौर 40-45 युनिट बिजली का उत्पादन करती हैं प्रति दिन, जिससे राज्य की बिजली कंपनी पर बोझ कुछ कम हो सकेगा जो फिलहाल राज्य के किसानों को प्रति युनिट बिजली पर 56 पैसे की सब्सिडी दे रही है।