भारत सरकार ने कृषि मंत्रालय के अधीन कृषि एवं सहकारिता विभाग (डीएसी) के जरिए 21 जनवरी, 2004 को देश भर में किसानों के लिए विस्तारित सेवाएं देने के मकसद से किसान कॉल सेंटर की शुरूआत की।
इन कॉल सेंटरों का मकसद किसानों की ओर से उठाए गए मुद्दों का उनकी स्थानीय भाषा में तत्काल सामाधान उपलब्ध कराना है। सभी राज्यों के लिए कॉल सेंटर स्थापित किए गए जिनसे देश के किसी भी हिस्से के किसानों की समस्या के सामाधान की उपेक्षा की जाती है। कृषि और उसके अनुषंगी सेक्टरों से जुड़े सवालों के जबाव इन कॉल सेंटरों की मदद से दिए जाते हैं।
राज्य के किसी भी इलाके से किसान टॉल फ्री नंबर 1551 या 1800-180-1551 पर डायल कर कॉल सेंटर से संपर्क कर कृषि जगत से जुड़ी अपनी समस्याएं बता उनका सामाधान पा सकते हैं। कॉल सेंटर का ऑपरेटर यदि किसी किसान की समस्या का सामाधान तत्काल बता पाने में असमर्थ होता है तो उस संबंधित किसान का कॉल संबंधित कृषि विशेषज्ञ से जोड़ कर उसका सामाधान निकाला जाता है।
किसान कॉल सेंटर की अवधारणा
भारतीय कृषि के समक्ष अपार चुनौतियां है। प्रति व्यक्ति आय और खपत की उच्च दर हासिल करने के लिए अतीत की तुलना में इस सेक्टर को तेज विकास दर हासिल करने की आवश्यकता है। ये स्थापित तथ्य है कि समग्र आर्थिक विकास हासिल करने के लिए कृषि क्षेत्र में संतुष्टि दायक विकास हासिल करना जरूरी है। देश का तकरीबन दो तिहाई कामगार प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से कृषि से जुड़े हैं। इस सेक्टर से देश की सकल घरेलु उत्पाद का तकरीबन 28 फ़ीसदी हिस्सा और निर्यात का तकरीबन 15 फ़ीसदी हिस्सा उत्पादित होता है। उपभोक्ताओं की बढ़ रही समृद्धि और आय में बढ़ोत्तरी के लिए किसानों की ओर से की जा रही कोशिशों के परिणाम स्वरूप फसल विविधकरण को बढ़ावा मिलता है। विदेशी उपभोक्ताओं & व्यापार की जरूरत के मुताबिक कृषि उत्पादन की गुणवत्ता,प्रदर्शन औऱ स्थायित्व को लगातार बनाए रखने और तुलनात्मक रूप से कम लागत होने की वजह से कृषि उत्पादों के निर्यात की संभावनाएं भी बढ़ने की उम्मीद है।
कृषि पारिस्थितिकीय औऱ उत्पादकों को देखते हुए भारतीय कृषि के समक्ष जरूरतों, अवसरों और संभावनाओं की विविधता  का सामना कर रही है। बेहतर सिंचित क्षेत्र भारत की कृषि जोत का 37 फीसदी है उसका कृषि उत्पादन में 55 फ़ीसदी का योगदान है जबकि वर्षा सिंचित क्षेत्र जो कुल कृषि जोत का 63 फ़ीसदी है उसका कृषि उत्पादन में योगदान 45 फीसदी है। इन कम अनुकूल क्षेत्रों में न केवल पैदावार कम है बल्कि अस्थिर भी है और सिंचित क्षेत्र की तुलना में प्रौद्योगिकी हस्तांतरण का अंतराल भी ज्यादा है।
अगर इन चुनौतियों का सामना हम सफलता पूर्वक करना चाहते हैं तो हमें सूचना आधारित प्रौद्योगिकी पर ज्यादा ध्यान देना पडेगा। प्रचार – प्रसार के मजबूत साधनों के जरिए किसानों तक सूचनाएं प्रसारित करने की आवश्यकता पड़ेगी। जानकारी के हस्तांतरण को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए आधुनिक सूचना एवं संचार तकनीक के उपयोग को अनुसंधानकर्ताओं, किसानों के बीच अधिक से अधिक बढ़ावा देना होगा। इन्हीं उद्दयेश्यों के मद्देनजर देश भर में किसान कॉल सेंटर की स्थापना की गई।
कैसे काम करते हैं किसान कॉल सेंटर
देश के प्रत्येक राज्य और केंद्र शासित प्रदेश की जरूरत को पूरी करने के लिए पूरे देश में 14 स्थानों पर किसान कॉल सेंटर स्थापित किए गए हैं। ग्यारह संख्या वाली एक टॉल फ्री नंबर 1800-180-1551 किसान कॉल सेंटर के लिए आवंटित किया गया है। इस नंबर पर मोबाइल फोन और लैंड लाइन के जरिए बात की जा सकती है। प्रत्येक किसान कॉल सेंटर में किसानों के सवालों के जबाव सातों दिन 22 भाषाओं में सुबह छह बजे से रात के दस बजे तक दिए जाते हैं। किसान कॉल सेंटर में ग्रेजुएट या उससे उपर पोस्ट ग्रेजुएट या डाक्टरेट (बागवानी, पशुपालन, मत्स्यपालन, मुर्गीपालन, मधुमक्खी पालन, रेशम कीट पालन, कृषि इंजीनियरिंग, कृषि वपणन, जैव-तकनीक, गृह विज्ञान आदि विषयों में) फार्म टेली एडवाइजर होते हैं जो स्थानीय भाषाओं में संवाद कला में दक्ष होते हैं। जिन सवालों के जबाव टेली एडवाइजर देने में सक्षम नहीं होते उन्हें कॉल कांफ्रेस मोड पर लेकर उस विषय से जुड़े अन्य विशेषज्ञों के पास भेजा जाता है। ये विशेषज्ञ राज्य कृषि विभागों, आईसीएआर या राज्य कृषि विश्वविद्यालयों से जुड़े इन विषयों के विशेषज्ञ होते हैं।
किसानों के कॉल डिटेल को एक जगह इकठ्ठा करने और उनके ओर से पूछे गए सवालों के त्वरित औऱ सही जबाव देने के मकसद से किसान ज्ञान प्रबंधन प्रणाली (किसान नॉलेज मैनेजमेंट सिस्टम) तैयार किया गया है। किसान ज्ञान प्रबंधन प्रणाली को अपना एक स्वतंत्र वेबसाइट http://dackkms.gov.in  भी है।
देश भर के किसान कॉल सेंटरों पर काम कर रहे एजेंट्स को उनकी विशेष आई डी और पासवर्ड के जरिए इस वेबसाइट से जानकारी निकालने की अनुमति है ताकि वो किसानों की समस्या का बेहतर तरीके से सामाधान कर सकें।
किसान कॉल सेंटर को देश भर में सुचारू रूप से चलाने के लिए कृषि एवं सहकारिता विभाग, भारत सरकार ने इफको किसान संचार लिमिटेड को जिम्मेदारी सौंपी है। अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस बेहतर बुनियादी ढांचे और अत्याधुनिक संचार साधनों के साथ इफको संचार लिमिटेड ने 01 मई 2014 से किसान कॉल सेंटर को एक फिर नए सिरे से शुरू किया है। वर्तमान में देश के 14 जगहों – अहमदाबाद, बेंगलुरू, भुवनेश्वर, चंडीगढ़, कोयम्बटुर, गौहाटी, हैदराबाद, जम्मू, जबलपुर, कानपुर, कोलकाता, पटना और पुणे से ये सेवा संचालित की जाती है। अब बेहतर संचार सुविधाओं से लैस किसान कॉल सेंटरों में किसानों के लगातार फोन कॉल्स आते हैं। पिछले दो सालों में बारह लाख किसानों ने कॉल सेंटर में फोन करके अपनी समस्याओं का हल पाया है। ये आंकड़ा पहले की तुलना में तीन गुनी है।